इस बज़्म से मैदान में जाना होगा
ऐवाँ से बयाबान में जाना होगा
होश्यार हो तय्यार हो ज़िन्हार न सो
क्या जानिए किस आन में जाना होगा
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
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हर फ़स्ल में होते हैं जवाँ सारे शजर
जाहिल की है मीरास 'क़लक़' तख़्त-ओ-ताज
कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है
याँ नफ़्स की शोख़ी से है मजनूँ लैला
गाहे तो करम हम पे भी फ़रमाएँ आप
क्या लेने सू-ए-जाह-ओ-हशम जाएँगे
लाज़िम है कि फ़िक्र-ए-रुख़-ए-दिलबर छोड़ूँ
किस तरह कहूँ आ भी कहीं उज़्र न कर
ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा
ख़ुद रफ़्ता हो बदमस्त हो कैसा है मिज़ाज
मूसा के सर पे पाँव है अहल-ए-निगाह का
ख़ुद को कभी न देखा आईने ही को देखा