उन से कहा कि सिद्क़-ए-मोहब्बत मगर दरोग़
उन से कहा कि सिद्क़-ए-मोहब्बत मगर दरोग़
कहने लगे ये सच है कि हर तरह पर दरोग़
दुज़द-ए-हिना पे दुज़दी-ए-जाँ का है इत्तिहाम
ख़ून-ए-दिल-ओ-जिगर सर-ए-तेग़-ए-नज़र दरोग़
आना सबाह-ए-हश्र का शाम-ए-फ़िराक़ झूट
उड़ जाना शोर-ए-नाला से रंग-ए-सहर दरोग़
हर लहज़ा तेग़ जानना अबरू का इफ़्तिराक
हर लम्हा ज़ौक़-ए-क़त्ल में सर हाथ पर दरोग़
सर संग-ए-दर से फोड़ना वहशत में ना-सुबूत
गिर जाना सैल-ए-अश्क से दीवार-ओ-दर दरोग़
ख़ून-ए-जिगर बजाए मय-ए-नाब ना-दुरुस्त
आतिश-ज़नी-ए-शोला-फ़िशाँ चश्म-ए-तर दरोग़
जाँ और फिगार-ए-तीर-ए-मिज़ा किस क़दर ग़लत
दिल और असीर-ए-रिश्ता-ए-मू सर-ब-सर दरोग़
बे-जाँ हो और जीते हो फ़ुर्क़त में इख़तिराअ'
बे-दिल हो और नियाज़-ए-निगह है जिगर दरोग़
टुकड़े निगाह-ए-नाज़ से दिल आप का दुरुस्त
वहम-ए-नज़र से दूर हमारी कमर दरोग़
उड़ता है रंग साथ ही आवाज़-ए-नाज़ के
चीन-ए-जबीं से आप को इतना ख़तर दरोग़
है ना-सिपास-ए-वस्ल दिल-ए-हिज्र-ए-दोस्त ख़ब्त
है पाक-बाज़ चश्म-ए-हक़ीक़त-निगर दरोग़
कूचे में मेरे ले के सबा आएगी बजा
तुम ख़ाक हो गए हो सर-ए-रहगुज़र दरोग़
हम को तलाश आप की और दर-ब-दर मुहाल
जज़्ब-ए-दिल-ओ-जिगर से उमीद-ए-असर दरोग़
हम और नाअ'श उठाने को आते ख़िलाफ़-ए-अक़्ल
मर्ग-ए-शब-ए-फ़िराक़ की हर सू ख़बर दरोग़
ये ज़ब्त-ए-वज़्अ' नाम 'क़लक़' क़िस्सा मुख़्तसर
शाइर हो हर तरह है तुम्हारा हुनर दरोग़
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