रिश्ता-ए-रस्म-ए-मोहब्बत मत तोड़
रिश्ता-ए-रस्म-ए-मोहब्बत मत तोड़
तोड़ कर दिल को क़यामत मत तोड़
काम-ए-नाकामी भी इक काम सही
तोड़ उम्मीद को हिम्मत मत तोड़
रात फ़ुर्क़त की पड़ी है ऐ दिल
एक ही नाले में ताक़त मत तोड़
उस की रहमत को न बे-कार समझ
मय-ओ-मयख़ाने की निय्यत मत तोड़
देख अच्छी नहीं ये ख़र-मस्ती
साग़र-ए-बादा-ए-फ़ुर्सत मत तोड़
ऐ दिल उम्मीद-ए-रिहाई मत बाँध
और आफ़त सर-ए-आफ़त मत तोड़
पूछ मत लज़्ज़त-ए-मय ऐ वाइज़
जानवर दाम-ए-शरीअत मत तोड़
सेहन-ए-मस्जिद को किए जा पामाल
क़ैद-ए-आईन-ए-तरीक़त मत तोड़
मय-कदा देख के जन्नत को न भूल
हिर्स से बंद-ए-क़नाअत मत तोड़
इस का एहसान उठाना है हमें
गर्दन ऐ बार-ए-नदामत मत तोड़
ऐ 'क़लक़' बुत-कदे में बाँध एहराम
हम से लिल्लाह रिफ़ाक़त मत तोड़
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