Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bdf3a6b8fb100f4ccd83c5901e9a0e8e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा - ग़ुलाम मौला क़लक़ कविता - Darsaal

ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा

ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा

पहचान ख़ुदा को भी ख़ुदा-रा

तिरछी ये निगाह है कि आरा

हर जुज़्व-ए-जिगर है पारा पारा

देखेंगे बुतों की हम कजी को

सीधा है अगर ख़ुदा हमारा

क्यूँ मौत के आसरे पे जीते

ऐ ज़ीस्त हमें तो तू ने मारा

अल्लाह-रे दिल की बे-क़रारी

खाता ही नहीं कहीं सहारा

जाँ देनी है मेरी आज़माइश

दिलदारी है इम्तिहाँ तुम्हारा

तूफ़ान है जोश-ए-तिश्ना-कामी

दरिया भी तो कर गया किनारा

शीरीनी-ए-जाँ की कब खुली क़दर

जब ज़हर हुआ हमें गवारा

हर शाख़ पे आशियाँ है लर्ज़ां

इस बाग़ में हो चुका गुज़ारा

गर्दिश का 'क़लक़' की देखना औज

हर क़तरा-ए-ख़ूँ बना सितारा

(758) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHud Dekh KHudi Ko O KHud-ara In Hindi By Famous Poet Ghulam Maula Qalaq. KHud Dekh KHudi Ko O KHud-ara is written by Ghulam Maula Qalaq. Complete Poem KHud Dekh KHudi Ko O KHud-ara in Hindi by Ghulam Maula Qalaq. Download free KHud Dekh KHudi Ko O KHud-ara Poem for Youth in PDF. KHud Dekh KHudi Ko O KHud-ara is a Poem on Inspiration for young students. Share KHud Dekh KHudi Ko O KHud-ara with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.