Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_57cac1d0b31ece7db1f9f7717c4e4270, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं - ग़ुलाम मौला क़लक़ कविता - Darsaal

ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

कब वो आशिक़ है जो तबाह नहीं

ऐ फ़लक दौर-ए-हुस्न में उस के

तुझ को कुछ फ़िक्र-ए-मेहर-ओ-माह नहीं

रब्त-ए-दुश्मन से भी वो बद-बर है

अब किसी तरह से निबाह नहीं

कम निगाही को उन की देखते हैं

उन पे भी अब हमें निगाह नहीं

पर्दा कब तक रहेगा ऐ ज़ालिम

अख़्तर-ए-मुद्दई सियाह नहीं

ज़ुल्म की क़द्र के लिए है रहम

दाद कुछ बहर-ए-दाद-ख़्वाह नहीं

हैफ़ क़ज़्ज़ाक़ी-ए-ज़माना हैफ़

रस्म-ओ-रह बहर-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

है गदा शाह बल्कि शाहंशाह

सतवत-ए-क़हर-ए-बादशाह नहीं

उल्फ़त और तुम से हाए हाए न हो

लब-ए-दुश्मन पे आह आह नहीं

पस्ती-ए-तालेअ' बहर-ए-ख़ूबी-ए-फ़न

क्या वो यूसुफ़ जो ग़र्क़-ए-चाह नहीं

अर्सा-ए-नीस्ती-ओ-हस्ती से

बच के चलने की कोई राह नहीं

ऐ 'क़लक़' क्या हुआ बुढ़ापे में

इश्क़ कुछ सैर-ए-सुबह-गाह नहीं

(762) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ghair Shayan-e-rasm-o-rah Nahin In Hindi By Famous Poet Ghulam Maula Qalaq. Ghair Shayan-e-rasm-o-rah Nahin is written by Ghulam Maula Qalaq. Complete Poem Ghair Shayan-e-rasm-o-rah Nahin in Hindi by Ghulam Maula Qalaq. Download free Ghair Shayan-e-rasm-o-rah Nahin Poem for Youth in PDF. Ghair Shayan-e-rasm-o-rah Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Ghair Shayan-e-rasm-o-rah Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.