Coupletss of Ghulam Maula Qalaq (page 2)
नाम | ग़ुलाम मौला क़लक़ |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ghulam Maula Qalaq |
कौन जाने था उस का नाम-ओ-नुमूद
जो कहता है वो करता है बर-अक्स उस के काम
जी है ये बिन लगे नहीं रहता
झगड़ा था जो दिल पे उस को छोड़ा
जबीन-ए-पारसा को देख कर ईमाँ लरज़ता है
हम उस कूचे में उठने के लिए बैठे हैं मुद्दत से
हो मोहब्बत की ख़बर कुछ तो ख़बर फिर क्यूँ हो
हर संग में काबे के निहाँ इश्वा-ए-बुत है
है अगर कुछ वफ़ा तो क्या कहने
गली से अपनी इरादा न कर उठाने का
फ़िक्र-ए-सितम में आप भी पाबंद हो गए
दिल के हर जुज़्व में जुदाई है
दयार-ए-यार का शायद सुराग़ लग जाता
बुत-ख़ाने की उल्फ़त है न काबे की मोहब्बत
बोसा देने की चीज़ है आख़िर
अश्क के गिरते ही आँखों में अंधेरा छा गया
अंदाज़ा आदमी का कहाँ गर न हो शराब
अम्न और तेरे अहद में ज़ालिम
आसमाँ अहल-ए-ज़मीं से क्या कुदूरत-नाक था