Coupletss of Ghulam Maula Qalaq
नाम | ग़ुलाम मौला क़लक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ghulam Maula Qalaq |
ज़ुलेख़ा बे-ख़िरद आवारा लैला बद-मज़ा शीरीं
ज़हे क़िस्मत कि उस के क़ैदियों में आ गए हम भी
वो ज़िक्र था तुम्हारा जो इंतिहा से गुज़रा
वो संग-दिल अंगुश्त-ब-दंदाँ नज़र आवे
वाइ'ज़ ये मय-कदा है न मस्जिद कि इस जगह
वाइ'ज़ ने मय-कदे को जो देखा तो जल गया
उस से न मिलिए जिस से मिले दिल तमाम उम्र
तुझ से ऐ ज़िंदगी घबरा ही चले थे हम तो
तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही
तू देख तो उधर कि जो देखा न जाए फिर
तिरी नवेद में हर दास्ताँ को सुनते हैं
तेरा दीवाना तो वहशत की भी हद से निकला
शहर उन के वास्ते है जो रहते हैं तुझ से दूर
रहम कर मस्तों पे कब तक ताक़ पर रक्खेगा तू
पहले रख ले तू अपने दिल पर हाथ
पड़ा है दैर-ओ-काबा में ये कैसा ग़ुल ख़ुदा जाने
नाला करता हूँ लोग सुनते हैं
न ये है न वो है न मैं हूँ न तू है
न लगती आँख तो सोने में क्या बुराई थी
न हो आरज़ू कुछ यही आरज़ू है
मूसा के सर पे पाँव है अहल-ए-निगाह का
मोहब्बत वो है जिस में कुछ किसी से हो नहीं सकता
मैं राज़दाँ हूँ ये कि जहाँ था वहाँ न था
क्यूँकर न आस्तीं में छुपा कर पढ़ें नमाज़
क्या ख़ाना-ख़राबों का लगे तेरे ठिकाना
कुफ़्र और इस्लाम में देखा तो नाज़ुक फ़र्क़ था
किस लिए दावा-ए-ज़ुलेख़ाई
किधर क़फ़स था कहाँ हम थे किस तरफ़ ये क़ैद
ख़ुदा से डरते तो ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न करते हम
ख़ुद को कभी न देखा आईने ही को देखा