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Ghulam Maula Qalaq Bewafa In Hindi - Best Bewafa Of Ghulam Maula Qalaq Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Bewafa Poetry of Ghulam Maula Qalaq

Bewafa Poetry of Ghulam Maula Qalaq
नामग़ुलाम मौला क़लक़
अंग्रेज़ी नामGhulam Maula Qalaq

तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही

फ़िक्र-ए-सितम में आप भी पाबंद हो गए

ज़िंदगी मर्ग की मोहलत ही सही

तुझे कल ही से नहीं बे-कली न कुछ आज ही से रहा क़लक़

तेरे वादे का इख़्तिताम नहीं

न रहा शिकवा-ए-जफ़ा न रहा

कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है

किस क़दर दिलरुबा-नुमा है दिल

ख़त ज़मीं पर न ऐ फ़ुसूँ-गर काट

हम तो याँ मरते हैं वाँ उस को ख़बर कुछ भी नहीं

हर अदावत की इब्तिदा है इश्क़

दिल के हर जुज़्व में जुदाई है

बे-गाना-अदाई है सितम जौर-ओ-सितम में

ऐ सितम-आज़मा जफ़ा कब तक

आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम

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