तड़प उठी है किसी नगर में क़याम करने से रूह मेरी
तड़प उठी है किसी नगर में क़याम करने से रूह मेरी
सुलग रहा है किसी मसाफ़त की बे-कली से दिमाग़ मेरा
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तड़प उठी है किसी नगर में क़याम करने से रूह मेरी
सुलग रहा है किसी मसाफ़त की बे-कली से दिमाग़ मेरा
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