हिकायत-ए-इश्क़ से भी दिल का इलाज मुमकिन नहीं कि अब भी
हिकायत-ए-इश्क़ से भी दिल का इलाज मुमकिन नहीं कि अब भी
फ़िराक़ की तल्ख़ियाँ वही हैं विसाल की आरज़ू वही है
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फ़िराक़ की तल्ख़ियाँ वही हैं विसाल की आरज़ू वही है
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