Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_35b12655dece57516fc674f073e61823, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आइने में अक्स खिलता है गुल-ए-हैरत नहीं - ग़ुलाम हुसैन साजिद कविता - Darsaal

आइने में अक्स खिलता है गुल-ए-हैरत नहीं

आइने में अक्स खिलता है गुल-ए-हैरत नहीं

लोग सच कहते हैं आँखों सी कोई नेमत नहीं

अब बहर-सूरत सर-ए-मैदाँ उतरना है मुझे

कार-ज़ार-ए-इश्क़ से पस्पाई की सूरत नहीं

उस के होने से हुई है अपने होने की ख़बर

कोई दुश्मन से ज़ियादा लाएक़-ए-इज़्ज़त नहीं

सैर करना चाहता हूँ मैं जहाँ-आबाद की

और रुक कर देख लेने की मुझे फ़ुर्सत नहीं

इश्क़ पर फ़ाएज़ हूँ औरों की तरह लेकिन मुझे

वस्ल का लपका नहीं है हिज्र से वहशत नहीं

रात वो आँसू बहाए हैं कि मेरे क़ल्ब पर

सुब्ह का आग़ोश वा करना मिरी उजरत नहीं

जिस क़दर महमेज़ करता हूँ मैं 'साजिद' वक़्त को

उस क़दर बे-सब्र रहने की उसे आदत नहीं

(1304) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aaine Mein Aks Khilta Hai Gul-e-hairat Nahin In Hindi By Famous Poet Ghulam Husain Sajid. Aaine Mein Aks Khilta Hai Gul-e-hairat Nahin is written by Ghulam Husain Sajid. Complete Poem Aaine Mein Aks Khilta Hai Gul-e-hairat Nahin in Hindi by Ghulam Husain Sajid. Download free Aaine Mein Aks Khilta Hai Gul-e-hairat Nahin Poem for Youth in PDF. Aaine Mein Aks Khilta Hai Gul-e-hairat Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Aaine Mein Aks Khilta Hai Gul-e-hairat Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.