Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ae3759c3feb2afdc37cdd9f48c29bc1d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फ़सील-ए-जिस्म की ऊँचाई से उतर जाएँ - ग़ुलाम हुसैन अयाज़ कविता - Darsaal

फ़सील-ए-जिस्म की ऊँचाई से उतर जाएँ

फ़सील-ए-जिस्म की ऊँचाई से उतर जाएँ

तो इस ख़राबे से हम लोग फिर किधर जाएँ

हवा बताती है गुज़रेगा कारवाँ कोई

कुछ और देर इसी राह पर ठहर जाएँ

तमाम दिन तो लहू चाटता रहा सूरज

हुई है शाम चलो अपने अपने घर जाएँ

कभी तो कोई लहू के दिए जलाएगा

चलो निशान-ए-क़दम अपना छोड़ कर जाएँ

अभी सदा न दो कुछ देर और सूरज को

ये जितनी सूखी हुई नद्दियाँ हैं भर जाएँ

ये शश-जिहत तो बस इक नक़्श-ए-पा का वक़्फ़ा है

तुम्हीं बताओ कहाँ आ के हम ठहर जाएँ

'अयाज़' हम को न अपना सकी कभी दुनिया

वही सदा है तआक़ुब में हम जिधर जाएँ

(865) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Fasil-e-jism Ki Unchai Se Utar Jaen In Hindi By Famous Poet Ghulam Husain Ayaz. Fasil-e-jism Ki Unchai Se Utar Jaen is written by Ghulam Husain Ayaz. Complete Poem Fasil-e-jism Ki Unchai Se Utar Jaen in Hindi by Ghulam Husain Ayaz. Download free Fasil-e-jism Ki Unchai Se Utar Jaen Poem for Youth in PDF. Fasil-e-jism Ki Unchai Se Utar Jaen is a Poem on Inspiration for young students. Share Fasil-e-jism Ki Unchai Se Utar Jaen with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.