दिल की मिट्टी चुपके चुपके रोती है
दिल की मिट्टी चुपके चुपके रोती है
यार कहीं बरसात ग़मों की होती है
बेचैनी में डूबे जुब्बा और दस्तार
फ़ाक़ा-मस्ती चादर तान के सोती है
प्यार मोहब्बत रिश्ते नाते पीर फ़क़ीर
देख ग़रीबी क्या क्या दौलत खोती है
तेरा चेहरा दिन का दरिया पार करे
रात की सारी हलचल तुझ से होती है
जिस को माझी समझा उस की मल्लाही
साहिल साहिल मेरी नाव डुबोती है
धरती अम्बर नदिया नाले खाई पहाड़
दो मिसरों में क्या क्या रंग समोती है
उस से 'अमजद' बातें करना खेल है क्या
वो तो लहजे की इक सोई चुभोती है
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