Love Poetry of Ghazanfar

Love Poetry of Ghazanfar
नामग़ज़नफ़र
अंग्रेज़ी नामGhazanfar

हिजरत

नए आदमी का कंफ़ेशन

तुम्हारे होते हुए लोग क्यूँ भटकते हैं

मैं उस के झूट को भी सच समझ के सुनता हूँ

पत्थर

गंदुम की बालियाँ

यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है

सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया

रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा

ख़ला के दश्त से अब रिश्ता अपना क़त्अ करूँ

दर्द की कौन सी मंज़िल से गुज़रते होंगे

अपनी नज़र में भी तो वो अपना नहीं रहा

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