हमारे हाथ से वो भी निकल गया आख़िर
कि जिस ख़याल में हम मुद्दतों से खोए थे
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
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हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ
दफ़्तर में ज़ेहन घर निगह रास्ते में पाँव
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
नए आदमी का कंफ़ेशन
कल तक जो शफ़्फ़ाफ़ थे चेहरे आवाज़ों से ख़ाली थे
सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया
हिजरत
महा-भारत
अजीब शख़्स है पहले मुझे हँसाता है
दर्द की कौन सी मंज़िल से गुज़रते होंगे
हम कि साहिल के तसव्वुर से सहम जाते हैं
बच के दुनिया से घर चले आए