बच के दुनिया से घर चले आए
घर से बचने मगर किधर जाएँ
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सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया
महा-भारत
गंदुम की बालियाँ
तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे
यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है
अजीब शख़्स है पहले मुझे हँसाता है
हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ
दफ़्तर में ज़ेहन घर निगह रास्ते में पाँव
ज़वाल
अजीब बात हमारा ही ख़ूँ हुआ पानी
पत्थर