अजीब बात हमारा ही ख़ूँ हुआ पानी
हमीं ने आग में अपने बदन भिगोए थे
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अजीब शख़्स है पहले मुझे हँसाता है
कई ऐसे भी रस्ते में हमारे मोड़ आते हैं
सजा के ज़ेहन में कितने ही ख़्वाब सोए थे
गंदुम की बालियाँ
महा-भारत
हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ
ख़ला के दश्त से अब रिश्ता अपना क़त्अ करूँ
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
दर्द की कौन सी मंज़िल से गुज़रते होंगे
सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया
हम कि साहिल के तसव्वुर से सहम जाते हैं
मैं ऐसा नर्म तबीअत कभी न था पहले