तेज़ होती जा रही है किस लिए धड़कन मिरी

तेज़ होती जा रही है किस लिए धड़कन मिरी

हो रही है रफ़्ता रफ़्ता आँख भी रौशन मिरी

ज़ेहन के ख़ानों में जाने वक़्त ने क्या भर दिया

बे-सबब होने लगी इक एक से अन-बन मिरी

जैसे जैसे गुत्थियों की डोर हाथ आती गई

कुछ इसी रफ़्तार से बढ़ती गई उलझन मिरी

ऐसा लगता है कि मेरी साँस फिर घुट जाएगी

फिर अना की नोक पर उठने लगी गर्दन मिरी

क्या कोई साया तुलू होने लगा है फिर इधर

फिर से क्यूँ होने लगी है दूधिया चिलमन मिरी

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Tez Hoti Ja Rahi Hai Kis Liye DhaDkan Meri In Hindi By Famous Poet Ghazanfar. Tez Hoti Ja Rahi Hai Kis Liye DhaDkan Meri is written by Ghazanfar. Complete Poem Tez Hoti Ja Rahi Hai Kis Liye DhaDkan Meri in Hindi by Ghazanfar. Download free Tez Hoti Ja Rahi Hai Kis Liye DhaDkan Meri Poem for Youth in PDF. Tez Hoti Ja Rahi Hai Kis Liye DhaDkan Meri is a Poem on Inspiration for young students. Share Tez Hoti Ja Rahi Hai Kis Liye DhaDkan Meri with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.