Ghazals of Ghazanfar
नाम | ग़ज़नफ़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Ghazanfar |
ये तमन्ना नहीं कि मर जाएँ
यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है
तेज़ होती जा रही है किस लिए धड़कन मिरी
तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे
सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया
सजा के ज़ेहन में कितने ही ख़्वाब सोए थे
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
किसी के नर्म तख़ातुब पे यूँ लगा मुझ को
ख़ला के दश्त से अब रिश्ता अपना क़त्अ करूँ
कई ऐसे भी रस्ते में हमारे मोड़ आते हैं
दर्द की कौन सी मंज़िल से गुज़रते होंगे
अपनी नज़र में भी तो वो अपना नहीं रहा
अजीब शख़्स है पहले मुझे हँसाता है