जाते हैं वहाँ से गर कहीं हम

जाते हैं वहाँ से गर कहीं हम

हिर-फिर के फिर आते हैं वहीं हम

सद-हैफ़ कि कुंज-ए-बेकसी में

कोई नहीं और हैं हमीं हम

ख़ामोशी की मोहर है दहन पर

हैं हल्का-ए-ग़म में जूँ नगीं हम

आया न वो शोख़ और गए आह

हसरत ही भरे तह-ए-ज़मीं हम

तकते रहे जानिब-ए-दर ऐ वाए

मर मर के ब-वक़्त-ए-वापसीं हम

क्या क्या खींचे हैं आप को दूर

टुक बैठे जो यार के क़रीं हम

देख आईना हम से पूछे थे यूँ

सच कहियो कि कैसे हैं हसीं हम

क़िस्मत में तो हिज्र है 'ग़ज़ंफ़र'

अब वो है तो आप में नहीं हम

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Jate Hain Wahan Se Gar Kahin Hum In Hindi By Famous Poet Ghazanfar Ali Ghazanfar. Jate Hain Wahan Se Gar Kahin Hum is written by Ghazanfar Ali Ghazanfar. Complete Poem Jate Hain Wahan Se Gar Kahin Hum in Hindi by Ghazanfar Ali Ghazanfar. Download free Jate Hain Wahan Se Gar Kahin Hum Poem for Youth in PDF. Jate Hain Wahan Se Gar Kahin Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Jate Hain Wahan Se Gar Kahin Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.