चल दिया नाज़ ज़माने के उठाने वाला

चल दिया नाज़ ज़माने के उठाने वाला

सारे घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

आँख पुर-नम है यही सोच के अहल-ए-दिल की

लौट कर अब नहीं आएगा हँसाने वाला

बात तो करते हैं सब लोग वफ़ा की लेकिन

किस ने देखा है कहाँ पर है निभाने वाला

अब परेशान सा फिरता है ज़माने भर में

ज़ख़्म-ए-दिल पर मिरे तेज़ाब लगाने वाला

शुक्र-ए-रब है मिरी फूलों पे गुज़ारी उस ने

आग पे सोया है बारूद बिछाने वाला

हम ने देखा है शब-ओ-रोज़ ज़माने में 'सबीन'

सुर्ख़-रू होता है सज्दों को सजाने वाला

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Chal Diya Naz Zamane Ke UThane Wala In Hindi By Famous Poet Ghausiya Khan Sabeen. Chal Diya Naz Zamane Ke UThane Wala is written by Ghausiya Khan Sabeen. Complete Poem Chal Diya Naz Zamane Ke UThane Wala in Hindi by Ghausiya Khan Sabeen. Download free Chal Diya Naz Zamane Ke UThane Wala Poem for Youth in PDF. Chal Diya Naz Zamane Ke UThane Wala is a Poem on Inspiration for young students. Share Chal Diya Naz Zamane Ke UThane Wala with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.