तुम्हारे शहर में आँगन नहीं है
तुम्हारे शहर में आँगन नहीं है
कहीं तुलसी नहीं चंदन नहीं है
क्लब में मिलते हैं राधा कन्हैया
कि जमुना तट नहीं मधुबन नहीं है
यहाँ हर और आतिश है धुआँ है
कहीं भी आज-कल सावन नहीं है
अमीरी का बदन सोने से पीला
ग़रीबी के लिए उतरन नहीं है
वो देखें किस तरह दिल की सियाही
कि उन के पास अब दर्पन नहीं है
(676) Peoples Rate This