Love Poetry of Ghamgeen Dehlvi
नाम | ग़मगीन देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ghamgeen Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1753 |
मौत की तिथि | 1851 |
कोई समझाओ उन्हें बहर-ए-ख़ुदा ऐ मोमिनो
किया बदनाम इक आलम ने 'ग़मगीं' पाक-बाज़ी में
हाथ से मेरे वो पीता नहीं मुद्दत से शराब
'ग़मगीं' जो एक आन पे तेरे अदा हुआ
उस की सूरत का तसव्वुर दिल में जब लाते हैं हम
उस के कूचे में गया मैं सो फिर आया न गया
उस शो'ला-रू से जब से मिरी आँख जा लगी
शम्अ-रू आशिक़ को अपने यूँ जलाना चाहिए
न पूछ हिज्र में जो हाल अब हमारा है
मुझ से आज़ुर्दा जो उस गुल-रू को अब पाते हैं लोग
मिरा उस के पस-ए-दीवार घर होता तो क्या होता
मैं ने हर-चंद कि उस कूचे में जाना छोड़ा
जो न वहम-ओ-गुमान में आवे