पीरी में ख़ाक ज़िंदगानी का मज़ा
पीरी में ख़ाक ज़िंदगानी का मज़ा
दाने का है लुत्फ़ और न पानी का मज़ा
वो मय-कशी-ओ-ज़ौक़ कहाँ है ऐ 'शोर'
ता-मर्ग न भूलेंगे जवानी का मज़ा
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पीरी में ख़ाक ज़िंदगानी का मज़ा
दाने का है लुत्फ़ और न पानी का मज़ा
वो मय-कशी-ओ-ज़ौक़ कहाँ है ऐ 'शोर'
ता-मर्ग न भूलेंगे जवानी का मज़ा
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