तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया
तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया
कभी फ़लक का कभी ग़ैर का वक़ार किया
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तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया
कभी फ़लक का कभी ग़ैर का वक़ार किया
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