Coupletss of George Puech Shor
नाम | जोर्ज पेश शोर |
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अंग्रेज़ी नाम | George Puech Shor |
ज़र्रे की तरह ख़ाक में पामाल हो गए
उस माह-रू पे आँख किसी की न पड़ सकी
तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया
शौक़ ने की जो रहबरी दिल की
रुके है आमद-ओ-शुद में नफ़स नहीं चलता
पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमा
नहीं है टूटे की बूटी जहान में पैदा
जहाँ में ज़र का है कारख़ाना न कोई अपना न है यगाना
जब जवानी गई छुड़ा कर हाथ
जान पर अपनी हाए क्यूँ बनती
इसी ख़याल में दिन-रात मैं तड़पता हूँ
हवा के घोड़े पे रहता है वो सवार मुदाम
है तलाश-ए-दो-जहाँ लेकिन ख़बर अपनी किसे
गुज़िश्ता साल जो देखा वो अब की साल नहीं
इक नज़र ने किया है काम तमाम
इक ख़याल-ओ-ख़्वाब है ए 'शोर' ये बज़्म-ए-जहाँ
दूर हम से हैं वो तो क्या डर है
दिल में अपने आरज़ू सब कुछ है और फिर कुछ नहीं
देते न दिल जो तुम को तो क्यूँ बनती जान पर
अदम से हस्ती में जब हम आए न कोई हमदर्द साथ लाए