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नदी - गीताञ्जलि राय कविता - Darsaal

नदी

मैं नदी हूँ और मुझे फ़ख़्र है इस बात का कि मैं नदी हूँ

चलते रहना मेरी आदत है

अपने रास्ते ख़ुद बनाना आता है मुझे और अच्छा भी लगता है

मैं नहीं चाहती कि कोई एक दायरा खींच के बता दे मुझे

कि अब ता-उम्र मुझे यहीं रहना है

एक छोटा सा गोल सा महफ़ूज़ दायरा

जहाँ ना मुझे पत्थरों से टकराना होगा

ना ही अपने वजूद को क़ाएम रखने के लिए रोज़ रोज़ जंग लड़नी होगी

मेरा वजूद सिर्फ़ पानी से नहीं बना

मेरी आज़ादी मेरी हिम्मत और मेरा जुनून

ये सब मिल के बनाते हैं मुझे और मा'लूम है मुझे

कि हर-पल हर लम्हा

मैं उस मंज़िल की तरफ़ बढ़ रही हूँ

जहाँ मौत को इंतिज़ार है मेरा

फिर भी मैं धीरे नहीं चलना चाहती हूँ

बल्कि लम्हा-दर-लम्हा मेरी रफ़्तार बढ़ती जा रही है

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Nadi In Hindi By Famous Poet Geetanjali Rai. Nadi is written by Geetanjali Rai. Complete Poem Nadi in Hindi by Geetanjali Rai. Download free Nadi Poem for Youth in PDF. Nadi is a Poem on Inspiration for young students. Share Nadi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.