दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे

दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे

ज़ंजीर भी आवाज़ा-ए-ज़ंजीर भी चाहे

आराम की सूरत नज़र आए तो कुछ इंसाँ

नैरंग-ए-शब-ओ-रोज़ में तग़ईर भी चाहे

सौदा-ए-तलब को न तवक्कुल के एवज़ दे

ये शर्त तो ख़ुद ख़ालिक़-ए-तक़दीर भी चाहे

लाज़िम है मोहब्बत ही मोहब्बत का बदल हो

तस्वीर जो देखे उसे तस्वीर भी चाहे

इक पल में बदलते हैं ख़द-ओ-ख़ाल लहू के

आँख अपने किसी ख़्वाब की ताबीर भी चाहे

लहजा तो बदल चुभती हुई बात से पहले

तीर ऐसा तो कुछ हो जिसे नख़चीर भी चाहे

तासीर से ख़ाली तो सुख़न नंग है 'गौहर'

शाएर को अता हो सनद-ए-'मीर' भी चाहे

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Dil Silsila-e-shauq Ki Tashhir Bhi Chahe In Hindi By Famous Poet Gauhar Hoshiyarpuri. Dil Silsila-e-shauq Ki Tashhir Bhi Chahe is written by Gauhar Hoshiyarpuri. Complete Poem Dil Silsila-e-shauq Ki Tashhir Bhi Chahe in Hindi by Gauhar Hoshiyarpuri. Download free Dil Silsila-e-shauq Ki Tashhir Bhi Chahe Poem for Youth in PDF. Dil Silsila-e-shauq Ki Tashhir Bhi Chahe is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Silsila-e-shauq Ki Tashhir Bhi Chahe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.