दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे
दिल सिलसिला-ए-शौक़ की तश्हीर भी चाहे
ज़ंजीर भी आवाज़ा-ए-ज़ंजीर भी चाहे
आराम की सूरत नज़र आए तो कुछ इंसाँ
नैरंग-ए-शब-ओ-रोज़ में तग़ईर भी चाहे
लाज़िम है मोहब्बत से मोहब्बत ही जन्म ले
तस्वीर जो देखे उसे तस्वीर भी चाहे
लहजा तो बदल चुभती हुई बात से पहले
तीर ऐसा तो कुछ हो जिसे नख़चीर भी चाहे
इक पल में बदलते हैं ख़द-ओ-ख़ाल हयूले
आँख अपने किसी ख़्वाब की ताबीर भी चाहे
तासीर से ख़ाली तो सुख़न नंग है 'गौहर'
शाएर को अता हो सनद-ए-'मीर' भी चाहे
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