बंदों का मिज़ाज हम ने देखा
बंदों का मिज़ाज हम ने देखा
क्या कुछ नहीं आज हम ने देखा
हिलते हुए तख़्त को सँभालो
गिरता हुआ ताज हम ने देखा
जीते तो ख़ुशी से मर न जाते
किस शख़्स का राज हम ने देखा
क्या क्या न तरस तरस गए हम
क्या क्या न समाज हम ने देखा
रोए हैं तो लोग रो पड़े हैं
अब के तो रिवाज हम ने देखा
'गौहर' को सलाम-ए-शौक़ पहुँचे
कुछ काम न काज हम ने देखा
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