मंज़िलें सम्तें बदलती जा रही हैं रोज़ ओ शब
मंज़िलें सम्तें बदलती जा रही हैं रोज़ ओ शब
इस भरी दुनिया में है इंसान तन्हा राह-रौ
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इस भरी दुनिया में है इंसान तन्हा राह-रौ
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