Love Poetry of Fitrat Ansari
नाम | फ़ितरत अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fitrat Ansari |
ज़ौक़-ए-नज़र को जल्वा-ए-बेताब ले गया
ये नहीं कसरत-ए-आलाम से जल जाते हैं
उन का मंशा है न फैले ख़स-ओ-ख़ाशाक में आग
तसव्वुर में जमाल-ए-रू-ए-ताबाँ ले के चलता हूँ
निगाह-ए-हुस्न की तासीर बन गया शायद
नए जहाँ में पुरानी शराब ले आए
करम के नाम पे उन का इ'ताब चाहते हैं
हुस्न-ए-फ़ितरत के अमीं क़ातिल-ए-किरदार न बन
दामन-ए-हुस्न में हर अश्क-ए-तमन्ना रख दो
बा'द मुद्दत के ख़याल-ए-मय-ओ-मीना आया