ज़ौक़-ए-नज़र को जल्वा-ए-बेताब ले गया

ज़ौक़-ए-नज़र को जल्वा-ए-बेताब ले गया

ता'बीर के नशात को इक ख़्वाब ले गया

मौज-ए-सुबुक-ख़िराम की तहरीक ही तो था

वो हौसला जो मुझ को तह-ए-आब ले गया

सर उन की बारगाह में झुक तो गया मगर

दिल आबरू-ए-मिम्बर-ओ-मेहराब ले गया

नग़्मात-ए-दिल फ़ज़ा में बिखरने न पाए थे

तार-ए-नफ़स को सदमा-ए-मिज़्राब ले गया

दिल इरतिक़ा-ए-ज़ेहन का हासिल तो हो गया

हुस्न-ए-यक़ीं को आलम-ए-असबाब ले गया

हैरत-फ़िशानियाँ मुझे दे तो गया मगर

आईना ज़िंदगी की तब-ओ-ताब ले गया

हम ने महल बनाए थे कुछ रेगज़ार पर

जिन को बहा के वक़्त का सैलाब ले गया

(878) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zauq-e-nazar Ko Jalwa-e-be-tab Le Gaya In Hindi By Famous Poet Fitrat Ansari. Zauq-e-nazar Ko Jalwa-e-be-tab Le Gaya is written by Fitrat Ansari. Complete Poem Zauq-e-nazar Ko Jalwa-e-be-tab Le Gaya in Hindi by Fitrat Ansari. Download free Zauq-e-nazar Ko Jalwa-e-be-tab Le Gaya Poem for Youth in PDF. Zauq-e-nazar Ko Jalwa-e-be-tab Le Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Zauq-e-nazar Ko Jalwa-e-be-tab Le Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.