करम के नाम पे उन का इ'ताब चाहते हैं

करम के नाम पे उन का इ'ताब चाहते हैं

निगाह-ए-शौक़ को हम कामयाब चाहते हैं

सुकून-ए-दिल में ग़म-ओ-इज़तिराब चाहते हैं

हम ऐसे लोग भी क्या इंक़लाब चाहते हैं

चमन में अहद-ए-बहाराँ की आरज़ू कर के

क़फ़स-नसीब क़फ़स पर अज़ाब चाहते हैं

ये आज़माइश-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र मआज़-अल्लाह

तुम्हारे जल्वे को हम बे-नक़ाब चाहते हैं

मुझे रक़ीब समझ कर जो मेरे मोहसिन हैं

मिरी नज़र का हसीं इंतिख़ाब चाहते हैं

जहाँ ख़ुलूस-ए-तिजारत के फ़न में ढल जाए

हम ऐसी दुनिया से अब इज्तिनाब चाहते हैं

ये अहल-ए-हुस्न की फ़ितरत अजीब फ़ितरत है

सवाल करने से पहले जवाब चाहते हैं

(757) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Karam Ke Nam Pe Un Ka Itab Chahte Hain In Hindi By Famous Poet Fitrat Ansari. Karam Ke Nam Pe Un Ka Itab Chahte Hain is written by Fitrat Ansari. Complete Poem Karam Ke Nam Pe Un Ka Itab Chahte Hain in Hindi by Fitrat Ansari. Download free Karam Ke Nam Pe Un Ka Itab Chahte Hain Poem for Youth in PDF. Karam Ke Nam Pe Un Ka Itab Chahte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Karam Ke Nam Pe Un Ka Itab Chahte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.