जिस तरह असावरी के दिल की धड़कन
जैसे पिछले पहर का महका हुआ बन
जैसे खिलते कँवल के सीने की उमंग
छलका पड़ता है मद में डूबा जौबन
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
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रक्षा-बंधन की सुब्ह रस की पुतली
मौत का भी इलाज हो शायद
वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं
कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे
वो पेंग है रूप में कि बिजली लहराए
अब याद-ए-रफ़्तगाँ की भी हिम्मत नहीं रही
मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का है जहाँ में तुझ को
आज़ादी
साग़र कफ़-ए-दस्त में सुराही ब-बग़ल