'ईसा' के नफ़्स में भी ये एजाज़ नहीं
तुझ से चमक उठती है अनासिर की जबीं
इक मोजिज़ा-ए-ख़मोश तर्ज़-ए-रफ़्तार
उठते हैं क़दम कि साँस लेती है ज़मीं
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(821) Peoples Rate This
रात भी नींद भी कहानी भी
इश्क़ अब भी है वो महरम-ए-बे-गाना-नुमा
तेरे आने की क्या उमीद मगर
हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा उठा दिया
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
क़ुर्ब ही कम है न दूरी ही ज़ियादा लेकिन
तू याद आया तिरे जौर-ओ-सितम लेकिन न याद आए
साग़र कफ़-ए-दस्त में सुराही ब-बग़ल
कहाँ का वस्ल तन्हाई ने शायद भेस बदला है
खुलता ही नहीं हुस्न है पिन्हाँ कि अयाँ