आ जा कि खड़ी है शाम पर्दा घेरे
मुद्दत हुई जब हुए थे दर्शन तेरे
मग़रिब से सुनहरी गर्द उठी सू-ए-क़ाफ़
सूरज ने अग्नी रथ के घोड़े फेरे
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Gulzar
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1074) Peoples Rate This
मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्ती
चढ़ती हुई नद्दी है कि लहराती है
ज़ब्त कीजे तो दिल है अँगारा
शाम-ए-अयादत
आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
ज़िंदगी दर्द की कहानी है
आधी रात
जुदाई
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
आँखों में जो बात हो गई है
सुनते हैं इश्क़ नाम के गुज़रे हैं इक बुज़ुर्ग