ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएँ
Anwar Masood
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1260) Peoples Rate This
वो रातों-रात 'सिरी-कृष्ण' को उठाए हुए
शामें किसी को माँगती हैं आज भी 'फ़िराक़'
क़ुर्ब ही कम है न दूरी ही ज़ियादा लेकिन
असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का
जब चाँद की वादियों से नग़्मे बरसें
तू याद आया तिरे जौर-ओ-सितम लेकिन न याद आए
गुल हैं कि रुख़-ए-गर्म के हैं अंगारे
इश्क़ की मायूसियों में सोज़-ए-पिन्हाँ कुछ नहीं
प्रेमी को बुख़ार उठ नहीं सकती है पलक
हर साँस में गुलज़ार से खिल जाते थे
ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला
आवाज़ पे संगीत का होता है भरम