मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3128) Peoples Rate This
फ़ज़ा तबस्सुम-ए-सुब्ह-ए-बहार थी लेकिन
छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
रात भी नींद भी कहानी भी
अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गए
नर्म फ़ज़ा की करवटें दिल को दुखा के रह गईं
जुनून-ए-कारगर है और मैं हूँ
ग़ुंचे को नसीम गुदगुदाए जैसे
दिल-दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू-ए-दोस्त
ये ज़िंदगी के कड़े कोस याद आते हैं
ये राज़-ओ-नियाज़ और ये समाँ ख़ल्वत का