इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
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सर-ता-ब-क़दम रुख़-ए-निगारीं है कि तन
जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं
धीमा धीमा सा नूर जैसे तह-ए-साज़
अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास
देवताओं का ख़ुदा से होगा काम
निखरे बदन का मुस्कुराना है है
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
ये शोला-ए-हुस्न जैसे बजता हो सितार
रक्षा-बंधन की सुब्ह रस की पुतली
जब चाँद की वादियों से नग़्मे बरसें
ये राज़-ओ-नियाज़ और ये समाँ ख़ल्वत का
आँखों में वो रस जो पत्ती पत्ती धो जाए