Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_337382ead442d40567bd924dd1a3e673, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तूर था का'बा था दिल था जल्वा-ज़ार-ए-यार था - फ़िराक़ गोरखपुरी कविता - Darsaal

तूर था का'बा था दिल था जल्वा-ज़ार-ए-यार था

तूर था का'बा था दिल था जल्वा-ज़ार-ए-यार था

इश्क़ सब कुछ था मगर फिर आलम-ए-असरार था

नश्शा-ए-सद-जाम कैफ़-ए-इंतिज़ार-ए-यार था

हिज्र में ठहरा हुआ दिल साग़र-ए-सरशार था

अलविदा'अ ऐ बज़्म-ए-अंजुम हिज्र की शब अल-फ़िराक़

ता-बा-ए-दौर-ए-ज़िंदगानी इंतिज़ार-ए-यार था

एक अदा से बे-नियाज़-ए-क़ुर्ब-ओ-दूरी कर दिया

मावरा-ए-वस्ल-ओ-हिज्राँ हुस्न का इक़रार था

जौहर-ए-आईना-ए-आलम बने आँसू मिरे

यूँ तो सच ये है कि रोना इश्क़ में बेकार था

शोख़ी-ए-रफ़्तार वज्ह-ए-हस्ती-ए-बर्बाद थी

ज़िंदगी क्या थी ग़ुबार-ए-रहगुज़ार-ए-यार था

उल्फ़त-ए-देरीना का जब ज़िक्र इशारों में किया

मुस्कुरा कर मुझ से पूछा तुम को किस से प्यार था

दिल-दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू-ए-दोस्त

ख़ाक का इतना चमक जाना ज़रा दुश्वार था

ज़र्रा ज़र्रा आइना था ख़ुद-नुमाई का 'फ़िराक़'

सर-ब-सर सहरा-ए-आलम जल्वा-ज़ार-ए-यार था

(969) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tur Tha Kaba Tha Dil Tha Jalwa-zar-e-yar Tha In Hindi By Famous Poet Firaq Gorakhpuri. Tur Tha Kaba Tha Dil Tha Jalwa-zar-e-yar Tha is written by Firaq Gorakhpuri. Complete Poem Tur Tha Kaba Tha Dil Tha Jalwa-zar-e-yar Tha in Hindi by Firaq Gorakhpuri. Download free Tur Tha Kaba Tha Dil Tha Jalwa-zar-e-yar Tha Poem for Youth in PDF. Tur Tha Kaba Tha Dil Tha Jalwa-zar-e-yar Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Tur Tha Kaba Tha Dil Tha Jalwa-zar-e-yar Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.