शिकस्त-ए-दिल की हर आवाज़ हश्र-आसार होती है
शिकस्त-ए-दिल की हर आवाज़ हश्र-आसार होती है
मगर सोई हुई दुनिया कहाँ बेदार होती है
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शिकस्त-ए-दिल की हर आवाज़ हश्र-आसार होती है
मगर सोई हुई दुनिया कहाँ बेदार होती है
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