Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a9bb5565218478eaef99a90f14233e3e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जुरअत-ए-इश्क़ हवस-कार हुई जाती है - फ़िगार उन्नावी कविता - Darsaal

जुरअत-ए-इश्क़ हवस-कार हुई जाती है

जुरअत-ए-इश्क़ हवस-कार हुई जाती है

बे-पिए तौबा गुनहगार हुई जाती है

दिल है अफ़्सुर्दा तो बे-रंग है हर रंग-ए-बहार

बू-ए-गुल भी ख़लिश-ए-ख़ार हुई जाती है

बावजूदे-कि जुनूँ पर हैं ख़िरद के पहरे

फिर भी ज़ंजीर की झंकार हुई जाती है

हर नफ़स मौज-ए-फ़ना तेरे थपेड़ों के तुफ़ैल

कश्ती-ए-उम्र-ए-रवाँ पार हुई जाती है

जो नमाज़ आज सर-ए-दार अदा की मैं ने

सज्दा-ए-शुक्र का मेआर हुई जाती है

जितनी आसानियाँ होती हैं फ़राहम दिन रात

ज़िंदगी उतनी ही दुश्वार हुई जाती है

जब से देखा है किसी के रुख़-ए-रौशन को 'फ़िगार'

आँख हर जल्वे से बेज़ार हुई जाती है

(849) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jurat-e-ishq Hawas-kar Hui Jati Hai In Hindi By Famous Poet Figar Unnavi. Jurat-e-ishq Hawas-kar Hui Jati Hai is written by Figar Unnavi. Complete Poem Jurat-e-ishq Hawas-kar Hui Jati Hai in Hindi by Figar Unnavi. Download free Jurat-e-ishq Hawas-kar Hui Jati Hai Poem for Youth in PDF. Jurat-e-ishq Hawas-kar Hui Jati Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jurat-e-ishq Hawas-kar Hui Jati Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.