Heart Broken Poetry of Figar Unnavi
नाम | फ़िगार उन्नावी |
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अंग्रेज़ी नाम | Figar Unnavi |
शिकस्त-ए-दिल की हर आवाज़ हश्र-आसार होती है
मायूस दिलों को अब छेड़ो भी तो क्या हासिल
दिल है मिरा रंगीनी-ए-आग़ाज़ पे माइल
दिल चोट सहे और उफ़ न करे ये ज़ब्त की मंज़िल है लेकिन
अजीब कश्मकश है कैसे हर्फ़-ए-मुद्दआ कहूँ
तुम हरीम-ए-नाज़ में बैठे हो बेगाने बने
शोहरत-ए-तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ आम हुई जाती है
कुछ काम तो आया दिल-ए-नाकाम हमारा
जफ़ा-ए-यार को हम लुत्फ़-ए-यार कहते हैं
हस्ती इक नक़्श-ए-इनइकासी है
हासिल-ए-ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ नाकाम है
हदीस-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-शम्-ओ-परवाना नहीं कहते
ग़म-ए-जानाँ से रंगीं और कोई ग़म नहीं होता
चमन अपने रंग में मस्त है कोई ग़म-गुसार-ए-दिगर नहीं
चला हूँ अपनी मंज़िल की तरफ़ तो शादमाँ हो कर
आरज़ू हसरत-ए-नाकाम से आगे न बढ़ी