शाइ'र की इल्तिजा

पयाम-ए-शौक़ को सोज़-ए-असर दे

नवा में आग की तासीर भर दे

हुकूमत का नहीं मैं आरज़ू-मंद

न ये कहता हूँ जाह-ओ-माल-ओ-ज़र दे

अता कर लफ़्ज़-ओ-मा'नी के जवाहर

दुर-ए-नायाब ला-सानी गुहर दे

दिल-ए-तीरा को रख आगाह-ए-फ़ितरत

सवाद-ए-चश्म को हुस्न-ए-नज़र दे

क़मर की रौशनी ख़ुर्शेद की ज़ौ

सुकूत-ए-शाम नग़्मात-ए-सहर दे

पयाम-ए-शौक़ को सोज़-ए-असर दे

नवा में आग की तासीर भर दे

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