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सफ़र - फ़ज़्ल ताबिश कविता - Darsaal

सफ़र

रात जब हर चीज़ को चादर उढ़ा दे

ढाँप ले काले परों में

आग लपटों सी ज़बानें

अज़दहे जब अपने अंदर बंद कर लें

तब उसी काले समय में

तुम घरों की क़ब्र से बाहर निकलना

और बस्ती के किनारे

ख़्वाब में ख़ामोश बहते आदमी से

आ के मुझ को ढूँढना

मैं वहीं तुम सब से कुछ आगे मिलूँगा

और अँधेरा सा तुम्हारे आगे आगे मैं चलूँगा

रौशनी ले कर चलूँगा तो मुझे

तुम से भी पहले और कोई ढूँढ लेगा

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Safar In Hindi By Famous Poet Fazl Tabish. Safar is written by Fazl Tabish. Complete Poem Safar in Hindi by Fazl Tabish. Download free Safar Poem for Youth in PDF. Safar is a Poem on Inspiration for young students. Share Safar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.