Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5996692e7c99e8e4f1c1144efe649292, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मौत माँ की तरह साथ है - फ़ज़्ल ताबिश कविता - Darsaal

मौत माँ की तरह साथ है

इस गली का सिरा भी कहीं की सड़क पर ही उगलेगा

तारीक मुँह फ़ाड़ती

इस गली में उतर जाओ

गहरे उतर जाओ

बदबू दिमाग़ों में भरती है

भर जाए ग़म मत करो

पीप ख़ून और मेदे की सब गंदगी

साफ़ कपड़ों पे आती है

आ जाए ग़म मत करो

उस गली में उड़ कर भटकना है टकराते फिरना है

खो जाओ टकराओ ग़म मत करो

मौत माँ की तरह साथ है

मौत

बदबू अँधेरा थकन पीप ख़ूँ और मेदे की सब गंदगी को

निगल जाएगी

आगे बढ़ो

और गहरे उतर जाओ

गहरे उतर जाओ

(766) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Maut Man Ki Tarah Sath Hai In Hindi By Famous Poet Fazl Tabish. Maut Man Ki Tarah Sath Hai is written by Fazl Tabish. Complete Poem Maut Man Ki Tarah Sath Hai in Hindi by Fazl Tabish. Download free Maut Man Ki Tarah Sath Hai Poem for Youth in PDF. Maut Man Ki Tarah Sath Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Maut Man Ki Tarah Sath Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.