एक नज़्म

सुनो हम दरख़्तों से फल तोड़ते वक़्त

उन के लिए मातमी धुन बजाते नहीं

सुनो प्यार के क़हक़हों

और बोसों के मासूम लम्हों में हम

आँसुओं के दियों को जलाते नहीं

और तुम लम्स बोसों

सुलगती हुई गर्म साँसों में

आँसू मिलाने पे क्यूँ तुल गई हो

सुनो आँसुओं का मुक़द्दर

तुम्हारा मुक़द्दर नहीं

तुम अभी मौसमों से परे

अपनी रूदाद के सिलसिलों से परे

दूर तक जाओगी

कामराँ जाओगी

तुम न जाने कहाँ मेरी पर्वाज़ से

मेरी रफ़्तार से मेरी हर बात से

और भी दूर तक जाओगी

मैं कहीं राह में ख़ाक हो जाऊँगा

आँसुओं को बचा कर रखो

उन का भी एक समय आएगा

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Ek Nazm In Hindi By Famous Poet Fazl Tabish. Ek Nazm is written by Fazl Tabish. Complete Poem Ek Nazm in Hindi by Fazl Tabish. Download free Ek Nazm Poem for Youth in PDF. Ek Nazm is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Nazm with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.