रिश्ता खुजियाया हुआ कुत्ता है

रिश्ता खुजियाया हुआ कुत्ता है

एक कोने में पटक रक्खा है

रात को ख़्वाब बहुत देखे हैं

आज ग़म कल से ज़रा हल्का है

मैं उसे यूँही बचा देता हूँ

वो निशाने पे खिंचा बैठा है

जब भी चूकोगे फिसल जाएगा

हाँ वो गिरने पे तुला बैठा है

रात सूरज को निगल ही लेगी

फिर भी दिन अपनी जगह बढ़िया है

कौन से जलते दिनों की बातें

तुम ने सूरज ही कहाँ देखा है

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