Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_376ab80d5a1228bb9fd122d2380c3736, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दरख़्तों के लिए - फ़ाज़िल जमीली कविता - Darsaal

दरख़्तों के लिए

ऐ दरख़तो! तुम्हें जब काट दिया जाएगा

और तुम सूख के लकड़ी में बदल जाओगे

ऐसे आलम में बहुत पेशकशें होंगी तुम्हें

तुम मगर अपनी रिवायत से न फिरना हरगिज़

शाह की कुर्सी में ढलने से कहीं बेहतर है

किसी फ़ुटपाठ के होटल का वो टूटा हुआ तख़्ता बनना

मैले कपड़ों में सही लोग मोहब्बत से जहाँ बैठते हैं

किसी बंदूक़ का दस्ता भी नहीं होना तुम्हें

चाक़ू छुरियों को भी ख़िदमात न अपनी देना

ऐसे दरवाज़े की चौखट भी न बनना हरगिज़

जो मोहब्बत-भरी दस्तक पे कभी खुल न सके

ऐ दरख़तो! तुम्हें जब काट दिया जाएगा

और तुम सूख के लकड़ी में बदल जाओगे

कोई बैसाखी बनाए तो सहारा देना

और कश्ती के लिए इतनी मोहब्बत से तुम आगे बढ़ना

कि समुंदर की फ़राख़ी भी बहुत कम पड़ जाए

अपने पतवार मिरे बाज़ुओं जैसे रखना

जो किसी और की ताक़त के सिवा ज़िंदा हैं

मेरी दुनिया कि अभी वाक़िफ़-ए-उल्फ़त ही नहीं

मेरे बाज़ू भी मोहब्बत के सिवा ज़िंदा हैं

(1159) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

DaraKHton Ke Liye In Hindi By Famous Poet Fazil Jamili. DaraKHton Ke Liye is written by Fazil Jamili. Complete Poem DaraKHton Ke Liye in Hindi by Fazil Jamili. Download free DaraKHton Ke Liye Poem for Youth in PDF. DaraKHton Ke Liye is a Poem on Inspiration for young students. Share DaraKHton Ke Liye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.